प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 38)
उस हॉल का कोना कोना ब्लैंक की खतरनाक हँसी से गूंज रहा था। अनि अपने हाथ में बन्दूक थामे आशा के मासूम चेहरे को बड़ी शान्ति से निहार रहा था। उसकी कनपटी से बहता हुआ खून उस चमकीली फर्श पर फैलता जा रहा था, कुछ पल तक उसे घूरते रहने के बाद अनि ब्लैंक की ओर बढ़ गया। ब्लैंक ने हाथ खाली करने का इशारा किया, अनि ने किसी आज्ञाकारी बालक की भांति बन्दूक नीचे रखकर आगे बढ़ गया।
"अब तू मुझे बताएगा कि तुझे ऐसा क्या चाहिए? और तू अगर मेरी साइड ही था तो मेरे आदमियों को क्यों मार रहा था साले!" ब्लैंक उसकी ओर आगे बढ़ते हुए चीखते हुए बोला, कई नकाबपोशों ने अनि को घेर लिया मगर ब्लैंक ने उन्हें पीछे हटने का इशारा किया।
"दूसरी बात ये है कि मैं शुरू से तुम्हारी साइड नहीं था, पर जब ये क्लियर हो गया कि तुम मुझे वो दिला सकते हो जिसे पाने के लिए मैं बरसो से तरस रहा हूँ। और मेरे ख्याल से मेरे साथ होने से तुम दुनिया से काफी सुरक्षित रहोगे इसलिए तुम्हारे लिए ये कोई घाटे का सौदा नहीं होगा।" ब्लैंक की ओर बढ़ते हुए अनि ने बड़े संयत स्वर में कहा।
"और पहली बात! पहली बात क्या है?...." एक नकाबपोश ने अपनी तीव्र उत्सुकता जाहिर करते हुए पूछा। इससे पहले वो आगे कुछ और बोल पाता एक गोली उसके माथे को चीरती हुई दूसरी ओर से निकलकर चट्टानी दीवार में समा गई।
"जब दो बड़े आपस में बात कर रहे हों तो वहां किसी तीसरे को जबर्दस्ती अपना मुँह नहीं घुसेड़ना चाहिए! अंडरस्टैंड?" ब्लैंक गुर्राया, सभी के मुँह में जैसे फेविकॉल जम गया, सब सन्न मारकर खड़े हो गए, अनि हौले से मुस्काया।
"अपनी बात पूरी करो!" अपनी बन्दूक की नाल से निकलते धुंए को फूंकते हुए ब्लैंक ने अनि से कहा।
"अं.. ह! मुझे जोर की कहानी आ रही है!" अनि ने अपना पेट पकड़कर दबाते हुए कहा।
"ये कहानी कैसे आती है? भला कहानी कैसे जोरो से आ सकती है?" ब्लैंक हैरान हुआ।
"आती है खाली स्थान भैया, बड़े जोरों की आती है, जैसे सूसू, पोट्टी आती है, भूख आती है, उल्टी आती है, ठीक वैसे ही ये भी आती है, सबकुछ पेट से ही आती है! उहह!" अनि अभी भी अपना पेट दबाए हुए था।
"बकवास मत करो, मुद्दे पर आओ!" ब्लैंक ने उसके ऊपर गन पॉइंट करते हुए कहा।
"बात को समझो खाली स्थान भैया! अगर कहानी नहीं ऊगली तो न कोई बात हजम कर पाऊंगा न ही उगल पाऊँगा।" अनि की आँखों में डर का दूर दूर तक निशान मात्र भी नहीं था। वह एक हाथ से अपनी गर्दन को धीरे से दबाते हुए बोला। "अं… हह!"
"बको जल्दी!" ब्लैंक ने गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा।
"कहानी बहुत पुरानी है, जैसे बपचन में कक्षा दो-तीन की होती है, पर इंटरेस्टिंग है! एक लड़का था, बचपन से बहुत ही स्मार्ट और बहादुर था, उसके परिवार में उसके माता पिता और एक बहिन थे। वो अपने परिवार से बेहद प्यार करता था, उनके अलावा उसकी एक दोस्त थी, दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते थे। उस लड़के की जिंदगी खुशियों से भरी हुई थी मगर जैसा हर कहानी में ट्विस्ट आता है इधर को भी चला आया।
उस लड़के की खुशियां अधिक देर तक नहीं टिक सकी, एक एक्सीडेंट में उसका परिवार मारा गया, वे माता पिता और बहिन जिनके लिए वो सौ सौ बार मरने को तैयार था उससे मिले बिना ही दुनिया से अलविदा कर गए। सैड मोमेंट था भाई बहुत! उसने अपनी और अपने परिवार की खुशियों के लिए हजारों सपने संजोए थे मगर वो शीशे की तरह चकनाचूर हो गए, उसके सपनों से भी दूर हो गए।
वो लड़का बुरी तरह टूट गया था, उसका अंतर्मन जिसने भी ऐसा किया था उसे चीर फाड़ देने का कर रहा था मगर वहां कोई सबूत न था। वह बुरी तरह झुंझला गया, अपने जीवन से निराश हो गया। उसकी दोस्त जो कि उसे फिर से खुश देखना चाहती थी, फिर से पहले की तरह बहादुर और जिंदादिल देखना चाहती थी उसकी आँखों ने सिर्फ आंसू देखे, दर्द देखा, मजबूरियां देखी। मगर उस लड़के ने ये कभी नहीं सोचा कि उसकी तकलीफ से भी किसी को तकलीफ होती है, क्योंकि वह अपनी तकलीफों के साथ बिजी था। एक दिन अचानक चमत्कार हुआ वह लड़का फिर से खुश दिखाई दिया, उसकी दोस्त लड़की ने जब उसे खुश देखा तो वह बहुत खुश हुई कि फाइनली उसकी मेहनत रंग तो लाई!
गफलतवहमियो के मारे लोग! उसने देखा कि वहां कोई नई लड़की थी, शायद ये वही थी जिसके साथ उसका दोस्त बिजी रहता था और अब खुश भी रहने लगा था, हालांकि उसे दुख तो हुआ मगर वह खुश थी कि उसका दोस्त खुश रहने लगा। समय का चक्कर चला, लड़का अपनी माँ के सपने पूरे करने आगे बढ़ा, उसके साथ उसकी बचपन की दोस्त भी चली आई, उसकी प्रेमिका बहुत अच्छी थी उसने हर कदम पर उसका साथ दिया मगर…!
जब लड़का अपने सपने सच होने की खबर उसे सुनाने गया तो वह लड़की भी रहस्यमय रुप से मारी गयी, उसकी आँखों के सामने उसकी मौत हो गयी। उस लड़के को दही जमाने से नफरत हो गयी, उसने दूध खरीदना छोड़ दिया। मेरा मतलब उसके अंदर लोगों के प्रति भावनाएं मर चुकी थी, मगर अपने दोस्त को दिखाने के लिए वह खुश रहने की एक्टिंग करने लगा। वाकई उसकी एक्टिंग ऑस्कर विंनिग थी तभी वहां उससे बड़ा एक्टर आ गया और उसने कहा कि वो अपना सबकुछ पा सकता है अगर वो दो चार सौ मासूमो की जान ले ले तो! जमाने से विरक्त वह लड़का इश्क़ में अंगड़ाई लेता हुआ …!" अनि लगातार बकबकी किये जा रहा था तभी ब्लैंक ने उसे रोका।
"ये क्या बकवास है?" ब्लैंक उसकी बात काटते हुए गुर्राया।
"अभी कहानी पूरी तो होने दो खाली स्थान भैया, काहे खाली पीली काली भेड़िया की लभेडपंती को पिलपिली कर रहे हो!" अनि ने मुँह बिचकाते हुए कहा।
"इश्क़ में डूबा हुआ वह आँखों के होता हुआ भी अंधा, क्योंकि प्यार अंधा होता है इसीलिए मैं इससे दूर रहता हूँ, बिल्कुल तैयार हो गया। उसने एक मुहिम जारी की मगर उसे अपने पोल खुलने का डर हुआ। वह समाज में अपनी इमेज दो बाल्टी क्रीम पोतकर फ़िल्टर मारकर चमकाने लगा, उसकी दोस्त को लगा कि उसका दोस्त दुनिया की परवाह में अपने इश्क़ की अफवाह को भूल गया मगर वह नही जानती थी कि उसके दोस्त को तलाश थी उस दुनिया कि जहां ऐसी शक्तियां हैं जो इश्क़ की मूरत को जिंदा कर देती हैं। वह दुनिया जो बिल्कुल काली है, 'प्रेमम' की दुनिया।" कहते हुए अनि के चेहरे पर जमाने भर की मुस्कान थिरक रही थी।
"व्हाट!" ब्लैंक बुरी तरह चौंकते हुए थूक गटककर बोला।
"गर्म तवे पे खड़ा नहीं किया है आपको!" अनि मुस्कुराया।
"क्यों काली भेड़िया? कहानी ऐसी ही थी न या कुछ और लपरसट्टई कर रखी थी तुम उसमें!" अनि ने अपना सिर खुजलाते हुए कहा, ब्लैंक का ध्यान आशा की कर गया वह अपने उस स्थान से गायब हो चुकी थी।
"व्हाट? क्या? मेरे साथ धोखा? ढूंढो उसे!" ब्लैंक जोरों से चिल्लाया।
"धोखा? जिसने हमेशा अपने आसपास के लोगो को धोखा दिया हो उसे कोई कैसे धोखा दे सकता है आदित्य!" अरुण ने कहा, उसके चेहरे पर जमाने भर की नफरत दिखाई दे रही थी।
"हाँ! मैं ही हूँ ब्लैंक! और क्या करता मैं? जिस जिस को चाहा सबको छीन लिया गया मुझसे! जिसको भी अपनाया वक़्त पर सब दगा दे गए। पापा मम्मी और अनिका के जाने के बाद सिया मिली, खुशियां लौटी मगर सिया को भी छीन लिया गया मुझसे! मेरे पास एक मौका है सबकुछ ठीक करने का और मैं इससे पीछे नहीं हटूंगा।" गुस्से से चींखते हुए अपना ब्लैंक का नकाब हटाते हुए आदित्य ने कहा। "मैं हर बार तेरी चाल को समझ गया एजेंट! मुझे वही खतरे का अनुमान हो गया था जब तू 'ब्लैक बिल्डिंग' में आ पहुँचा था, मगर मुझे लगा मैंने तेरी हर चाल को नाकामयाब कर दिया, मगर यही मैं धोखा खा गया, खैर अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है अभी भी मैं सबकुछ हासिल कर सकता हूँ, तुम गलत जगह आ गए, यहाँ सिर्फ मौत मिलती है। हाहाहाहा… "
"तुमने सिर्फ वो देखा जो हमने तुम्हें दिखाना चाहा आदित्य! बस बहुत ही चुका तुम्हारा ये खूनी खेल! अब बैंड करो ये सब।" अनि ने आदित्य पर बंदूक तानते हुए कहा। आदित्य उसकी ओर ध्यान न देते हुए अपना नकाब पहनने लगता है।
"ये जंग ब्लैंक की है, मेरे दिल में जो ब्लैंक है उसे फील करने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूँ अनि! मैं मक़सद के इतने पास आकर पीछे नहीं हट सकता, अब बस महावृत की आखिरी प्रक्रिया बाकी है।" अपने नकाब को सेट करते हुए आदित्य ने कहा।
"तेरी इस बकवास सी जंग में कई मासूमों की जान गई है साले! तूने अरुण के बारे में नहीं सोचा? तूने ये नहीं सोचा, जिस दिन तू अरुण के हाथों लगेगा उस दिन तेरी ऐसी गत बनेगी कि तेरी रूह तेरे जिस्म को फाड़कर बाहर आना चाहेगी मगर मैं उसे फाड़कर वापिस तेरे सीने में डाल दूँगा। तुझे मैं ऐसी मौत दूंगा कि मौत के भी तिरपन काँप जाएंगे।" अरुण गुस्से से धमकी भरे स्वर में चिल्लाया, मगर वह बेड़ियों के मजबूत बंधन में जकड़ा हुआ था, वह बुरी तरह छटपटा रहा था।
"ये तो वक़्त ही बताएगा अरुण कि कौन किसे मौत देता है, फिलहाल तू मुझे मेरी जीत का जश्न मनाते देख! हाहाहा…!" ब्लैंक जोर जोर से हँसने लगा, अगले ही पल छत से एक बड़ा पिंजरा गिरा, अनि अब ब्लैंक की कैद में था। "तुम्हें क्या लगा था बच्चे? कि तुम अपना दल बदलू वाला आई डी कार्ड दोगे और मैं तुम्हें लॉयल समझ लूंगा? ब्लैंक किसी पर यकीन नहीं करता बच्चे। हाहाहा.. अब मेरी जीत का जश्न मनेगा, तुम सबकी मौत के साथ! हाहाहाहा…!" लगातार ठहाके लगाते हुए ब्लैंक ने कहा। अचानक उसकी हँसी पर ब्रेक लग गया, मेघना वहां नहीं थी, उसकी पुतलियां नाचने लगीं, होंठो पर कुटिलता भरी मुस्कान छा गयी।
"क्या फायदा खाली स्थान भैया! अब तो मुहूर्त बीत ही चुका है।"
"मेरी कहानी नहीं जानना चाहिए था तुम्हें! अब ये आदित्य तुम्हें सुबह का आदित्य यानी सूरज नहीं दिखने देगा। और तू ज्यादा दिमाग ना चलाया कर खुरापाती एजेंट, तू स्टैंड अप कॉमेडी कर लिया कर, तेरे लिए वही अच्छा है।" अनि के पास जाकर, उसे घूरते हुए ब्लैंक ने कहा।
"साले..!" अनि बस कसमसाकर रह गया, वह जबड़े भींचे ब्लैंक को देखता रहा। इस समय वह खुद को संसार का सबसे मूर्ख व्यक्ति समझ रहा था।
"जितनी गालियां देनी है दे ले बच्चे! हॉं वैसे अगर तू दिल से भी मेरे साथ होता तो तेरी जगह यहीं होती। हाँ लार तुझे तेरी माँ से मिलवाता जरूर, ऊपर…..! और वो काम तो मैं आज भी बिना किसी एहसान को माने कर सकता हूँ। और हाँ इस कैद में कोई भी इक्विपमेंट काम नहीं करता इसलिए अपने पास रखी बन्दूक का फायदा उठाने की सोचना भी मत।" व्यंग्यपूर्ण मुस्कान लिए वह बोला, और वहां से चलते बना, उसके जाने के साथ ही कमरे की लाइट डीम हो गयी।
"तेरा प्लान भी फ्लॉप हो गया, साला बेहोश रहना बेकार गया, अब तक तो सबकी ऐसी तैसी कर चुका होता!" अरुण ने अनि पर भड़कते हुए गुस्से से कहा।
"मैंने भी नहीं सोचा था ऐसा होगा!" अनि ने निराश स्वर में कहा।
"साला कोई ढंग का प्लान बनाता नहीं।है, कोई बेस नजर नहीं आता है और कह रहा कि सोचा नहीं था। ये तो फैक्ट है साले, रिजल्ट तो यही आना ही था।" अरुण चिल्लाता रहा, अनि ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया वह अपने हाथ में थमी छोटी सी रेती से पिंजरे की सलाखें रेतने में लगा रहा, जिसकी हल्की आवाज बाहर आ रही थी मगर वो अरुण की गुस्से भरी आवाज के पीछे छिप जाती थी।
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"तुम कौन हो?" अपने मुँह से रुमाल निकालते हुए मेघना ने आशा से पूछा।
"पहले यहां छिप जाओ, प्लान में जबर्दस्ती तुम्हें शामिल करना पड़ा, अभी अभी मरने से बची हो, थोड़ा सांस ले लो। ब्लैंक के कई सारे कुत्ते अभी हमारे पीछे पड़े होंगे।" आशा ने उसे दीवार के दूसरी ओर करते हुए बोला।
"मेरा हाथ खोलो!" मेघना अपने हाथ में बंधी रस्सियों के बंधन को दिखाते हुए बोली। आशा ने जल्दी जल्दी उसका हाथ खोला तभी कमरे में कई जोड़ी पैरों की आहट सुनाई देने लगी।
"यहां से निकलना होगा।" मेघना ने आशा का हाथ खींचते हुए कहा।
"हां मालूम! चल चल अपने….!" कहते हुए वो लजा गयी, दोनों बेआवाज सरकते हुए दूसरे कमरे में पहुँच गए। मगर कदमो की आहट घटने के बजाए बढ़ती चली गई।
"अब क्या करें मिस…!" मेघना ने आशा की ओर देखा, वह काफी कमजोर नजर आ रही थी, अन्यथा वह अकेले कईयों पर भारी थी।
"फिलहाल इंट्रोडक्शन तो नहीं कर सकते! बस किसी तरह यहां से निकलकर मैन गेट तक जाना है।" कई बड़ी मशीनों के पीछे छिपकर चलते हुए, आशा ने मेघना से कहा।
"वो सब वही कर रही है!" अचानक मेघना के होंठ थर्रा गए, उसका पूरा जिस्म कांप उठा, उसे खुद को सम्भालना मुश्किल हो गया था, आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा था।
"क्या हुआ तुम्हें? ओ माय गॉड तुम तो बहुत ज्यादा बीमार लग रही हो पर अचानक कैसे?"
"व...वो सब वही कर रही हैं! उसे रोको, व...वो उसका मिसयूज कर रही है!" मेघना ऐसे कांपने लगी थी मानो उसे भीषण ठंड लग गयी हो।
"हे..? संभालो अपने आप को, तुम्हीं 'लास्ट की' हो, सम्भालो खुद को वरना हम ये जंग हार जाएंगे।" आशा उसे झिकझोरते रही मगर कुछ न खाने पीने और भीषण मानसिक यातना की वजह से वह खुद को संभाल नहीं पा रही थी।
"हे भगवान!" आशा के माथे बल पड़ गए, उसका चेहरा पसीने से नहा गया। कदमों की आहट बढ़ती जा रही थी, उसने मेघना को अपने कंधे पर उठाया और धीरे धीरे वहां से बाहर निकलने लगी। वह दूसरे कमरे में पहुंच गई, जहां उसके जाते ही लाइट अपने आप जल पड़ी, काफी देर हल्की रोशनी में रहने के बाद अचानक अधिक तेज रोशनी में आने के कारण उसकी आँखें चौंधिया गयीं। जब आँखे खुली तो उसके सामने ब्लैंक खड़ा था।
"ये चूहे बिल्ली का खेल खत्म हुआ लड़की!" कहते हुए ब्लैंक ने आशा की ओर निशाना तान दिया। वह आवाज सुनकर आशा के कंधे पर बेहोश पड़ी मेघना कसमसाई, उसने किसी तरह अपने पलकें खोली, फर्श पर उतरकर दीवार के सहारे खड़ी हो गई, ब्लैंक को देखते ही उसकी आँखें फैलती चली गईं, क्योंकि भले कोई उसकी बदली हुई आवाज न पहचानता मगर जो उसे बचपन से जानता हो वो भला इस आवाज को कैसे नहीं पहचानता।
"नहीं! तुम ये नहीं हो, वो अभी भी है, सब उसी की चाल है..." इससे पहले मेघना की बात पूरी होती, ब्लैंक ने आशा पर फायर किया, आशा गोलियों से बचने के लिए झुकी मगर गोलियां उस तक आ ही नहीं सकी, उन्हें बीच में ही किसी ने रोक लिया था। वह मेघना थी, ब्लैंक के मैगज़ीन की सारी गोलियां उसके सीने में उतरती चली गयी, पूरा फर्श खून से लाल हो गया, उसकी साँसे उखड़ने लगीं। ब्लैंक अपनी बन्दूक वहीं छोड़ पागलों की तरह उसकी ओर दौड़ पड़ा, मेघना ने उसके मास्क को खींचा, उसने बिना किसी विरोध के मास्क हटा दिया। अब मेघना के सामने आदित्य का वह रूप बिल्कुल नहीं था जिसे वो जानती थी, जिसे वो अपने जान से ज्यादा चाहती थी, जो उसकी रग रग में बहता था, बस वही लहू बनकर फर्श पर बिखरता चला गया।
"य..ये तुम नहीं हो आदि! त..तुम्हारा वो मिसयूज कर रही… है..! आई लव.. य...यू अ.. आदि…!" हकलाते हुए उसके मुंह से कुछ शब्द निकलें, जिन्हें सुनकर आदित्य की आँखों में आँसू भर आये, मेघना की साँसे थम चुकी थी, आशा वहीं जमी हुई सी उसके निश्तेज पड़े शरीर को देख रही थी, जिसमें खुद को संभालने की जान न होते हुए भी उसे बचाने के लिए अपनी जान दे दी। दरवाजे पर अनि और अरुण आँखे फाड़े खड़े थे, यह सब इतना शीघ्रता से हुआ था कि किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था, अनि के हाथों में कुछ कागज थे। अचानक वहां का वातावरण बदलने लगा, चारों तरफ भयावह हँसी गूँजने लगी, अरुण की आंखों में क्रोध और नफरत का सैलाब बढ़ता ही चला जा रहा था।
क्रमशः…...
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
04-Nov-2023 07:19 PM
बेहद इंट्रेस्टिंग भाग था।👌 मेरे अकॉर्डिंग आदि से ये सब कुछ सिया करा रही है, देखते है आगे क्या होगा। इस भाग में सबसे ज्यादा फनी मुझे यह लगा, कि अनि छोटी सी रेती से पिंजरे को रेत रहा था। 😂
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